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शिक्षक समाज के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और शर्म की घटना - GSTA के नाम पर एक मैसेज वायरल करके दिल्ली अध्यापक परिषद की छवि खराब करने की साजिश।

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अभी कुछ दिन पहले GSTA के नाम पर एक मैसेज वायरल करके दिल्ली अध्यापक परिषद जो की राष्ट्रीय पार्टी है और हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में और निश्वार्थ भाव से शिक्षकों के वेलफेयर में कार्य करती है को बदनाम किया गया , जो की शिक्षक समाज के लिए  बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और शर्म की बात है। DSTF इस कृत्य की घोर निंदा और भर्तसना करती है। जो लोग परिषद के बारे में जानते नही है वो आरोप लगा रहे है। जितने काम परिषद द्वारा कराए गए है उतने किसी संगठन ने नही कराए है। श्रेय चाहे जो भी संगठन ले। दिल्ली अध्यापक परिषद के बारे में कुछ तथ्य निम्न है -

  • परिषद की द्विवार्षिक सदस्यता होती है। कोई अनिवार्य सदस्यता नही है। जिसका मन हो वह सहयोग करे, कोई बाध्यता नही है। परिषद अपने नाम पर सदस्यता करती है GSTA के नाम पर नही।
  • शिक्षा निदेशालय द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन है, जिसका पुराना सचिवालय में कार्यालय है।
  • परिषद कभी किसी कार्य का श्रेय नही लेती न ही किसी अन्य शिक्षक संगठन से मनमुटाव या मतभेद रखती है। 
  • परिषद के लिखित विधान के अनुसार प्रति दो वर्ष में सदस्यता एवं प्रति तीन वर्ष में कार्यकारिणी का चुनाव होता है। जो शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के संज्ञान में पूर्ण निष्पक्षता के साथ संपन्न होता है।
  • दिल्ली अध्यापक परिषद, दिल्ली में चार विंग (राजकीय, नगर निगम, सहायता प्राप्त, नई दिल्ली नगर पालिका) में कार्यरत  अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से सम्बद्ध  है जो देश के 29 राज्यों में उच्चतर शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा संवर्ग के रूप में अपने सेवायें दे रहा है।

यही आग्रह आप सभी प्रबुद्ध जनों से भी है। बिना किसी संगठन को जाने सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा न करे। परिषद कभी संगठन पर ऐसा प्रहार नही करती न ही कोई आरोप लगाती है।

ADMIN, DSTF

दिल्ली अध्यापक परिषद 


सभी शिक्षक साथियों को नमस्कार

दिल्ली अध्यापक परिषद के द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य और उसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण कुछ तथाकथित शिक्षक नेताओं में बौखलाहट है। 

जैसा कि आप सभी को विदित है कि दिल्ली अध्यापक परिषद, शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी के हित में (1971) से लगातार कार्य कर रही है। हमारे कार्यों की सराहना उपशिक्षा निदेशक समय-समय पर करते रहते हैं। शिक्षा निदेशक श्री उदित प्रकाश जी ने भी कई मंचों पर खुले हृदय से दिल्ली अध्यापक परिषद के निःस्वार्थ कार्यों की सराहना की है तथा परिषद द्वारा लगातार विचार करते हैं और दिए गए सुझावों पर कार्य करते हैं।

परिषद के लिखित विधान के अनुसार प्रति दो वर्ष में सदस्यता एवं प्रति तीन वर्ष में कार्यकारिणी का चुनाव होता है। जो शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के संज्ञान में पूर्ण निष्पक्षता के साथ संपन्न होता है। 

दिल्ली अध्यापक परिषद, दिल्ली में चार विंग (राजकीय, नगर निगम, सहायता प्राप्त, नई दिल्ली नगर पालिका) में कार्यरत  अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से सम्बद्ध  है जो देश के 29 राज्यों में उच्चतर शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा संवर्ग के रूप में अपने सेवायें दे रहा है। जीएसटीए दिल्ली प्रदेश में सिर्फ राजकीय शिक्षकों तक सीमित संगठन है।

किसी भी संगठन के लिए सदस्य ही उसके प्राण तुल्य होते है और संगठन को गतिशील बनाये रखने के लिए धन की आवश्यकता होती है। 

दिल्ली अध्यापक परिषद का बैंक में खाता है, जिसमें  समस्त आय-व्यय का विवरण उपलब्ध है और जिसका प्रति वर्ष ऑडिट होता है।

यदि कोई संगठन सदस्यता शुल्क अथवा कोई सहयोग नहीं लेता है तो,

उस संगठन का खर्च कौन वहन करता है? 

क्या उसे विदेशी फंडिंग मिलती है ? या 

राज्य सरकार ही सारा खर्च देती है !

अथवा उसके पदाधिकारी धन कुबेर हैं ?

जीएसटीए के सभी सदस्य दिल्ली अध्यापक परिषद से पूर्णतः परिचित हैं इसलिए *परिषद के बारे में दुष्प्रचार करके शिक्षकों को भ्रमित करने के बजाय हिम्मत दिखाते हुए अपने नाम का प्रयोग करना चाहिए। 

धन्यवाद। 


 GSTA के नाम से  डाला गया Whatsapp मैसेज 

प्रिय शिक्षक साथियों,

        "राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ" आपके द्वारा चुना हुआ एक संगठन है जो कि बगैर चंदा एकत्रित किए हुए निस्वार्थ भाव से शिक्षक हित में कार्य करता है लेकिन हमारी जानकारी में आया है कि कुछ लोग संगठन की मेंबर शिप के नाम पर स्कूलों में जाकर 50 -50 रुपये की पर्चियां काट रहे हैं लाखों रुपया जो इकट्ठा होता है। उसका 25 परसेंट उन लोगों को मिलता है जो यह राशि स्कूलों से इकट्ठा करते हैं यह लोग केवल वर्ष में केवल एक बार स्कूलों में आते हैं  केवल पैसा एकत्रित करने के लिए दोबारा आपको यह स्कूलों में कभी नहीं दिखाई देंगें।

           कृपया आप इन लोगों से गत वर्षों में पूरी दिल्ली से इनके संगठन द्वारा कितना पैसा इकट्ठा किया गया और किस मद में कहां-कहां खर्च हुआ इसके हिसाब-किताब को सार्वजनिक करने की मांग अवश्य करे।  क्योंकि पैसा हर वर्ष इकट्ठा किया जाता है लेकिन हिसाब-किताब मांगने पर भी आज तक कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।

इसलिए आप सभी से अनुरोध है आप इस प्रकार की राशि ना दें इसका विरोध करे। और इस मैसेज को अधिक से अधिक ग्रुपों में शेयर करे जिससें गलत प्रकार की उगाई को रोका जा सके।

भवदीय

राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ,दिल्ली





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