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Home » » SFTC का शिक्षक मंच औऱ अन्य संगठनों के शिक्षक नेताओं से आह्वान - किसी के काम की आलोचना करने के, शिक्षक हित मे कार्य करने के लिए बुजुर्ग नेताओं से प्रेरणा लें और शिक्षक हित मे सकारात्मक कार्य कर शिक्षकों की भलाई करें।

SFTC का शिक्षक मंच औऱ अन्य संगठनों के शिक्षक नेताओं से आह्वान - किसी के काम की आलोचना करने के, शिक्षक हित मे कार्य करने के लिए बुजुर्ग नेताओं से प्रेरणा लें और शिक्षक हित मे सकारात्मक कार्य कर शिक्षकों की भलाई करें।

SFTC का शिक्षक मंच औऱ अन्य संगठनों के शिक्षक नेताओं से आह्वान - किसी के काम की आलोचना करने के, शिक्षक हित मे कार्य करने के लिए बुजुर्ग नेताओं से प्रेरणा लें और शिक्षक हित मे सकारात्मक कार्य कर शिक्षकों की भलाई करें।



*सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज(रजि.
*दिल्ली प्रदेश*
*--------///--------///----------*

सम्मानित शिक्षक साथियों
                 सादर प्रणाम।


आज दूसरों की उपलब्धियों पर अपना श्रेय लेना और ईष्यावश अशोभनीय आलोचना करना समाज की परम्परा व मनोवृत्ति बन गयी है।

सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज के प्रतिनिधियों के द्वारा दिल्ली के शिक्षकों को दाँतो के ईलाज के लिए रेफर की छूट दिलाने के आदेश के बाद अन्तरकलह से ग्रस्त GSTA दो साल पुराने पत्र का प्रचार कर वाहवाही लूटने मे जुट गई है। और एक मंच के शिक्षक मुफ्त मे सलाह दिए जा रहे हैं।

हमें तो तत्काल ईन GSTA (SFTC) के उन सभी सेवानिवृत्त विभूतियो को श्रद्धा भाव से नमन,वन्दन और अभिनन्दन करना चाहिए जिन्होंने धूल व धूप की परवाह किए बिना ऐतिहासिक उपलब्धियों की श्रंखला मे एक सोपान और जोड दिया।

शिक्षक हित मे समर्पित SFTC के बुजुर्ग आज भी शिक्षकों के उतथान के लिए चिन्तन और उनका रक्षण करने के लिए सजग व सचेत रहते हैं।

क्या सेवा निवृत्त शिक्षक नेताओ द्वारा सेवानिवृत्ति के पश्चात शिक्षक हित मे कार्य करना गुनाह है? यदि है,तो शिक्षकों के ह्रदय मे अपार सम्मान पाने वाले बुजुर्ग नेतागण शिक्षक हित मे कोई भी कदम उठाने मे नहीं हिचकेगे। वर्तमान मे अपने-अपने शिक्षक संगठनों के शिक्षक नेताओं को इन बुजुर्गों से सीख लेनी चाहिए कि शिक्षकों की सेवा राजनीतिक महतवाकाँक्षा पूरी करने का माध्यम नहीं है,बल्कि उन्हें शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करने मे अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।

मुझे नहीं लगता कि किसी भी शिक्षक मंच या शिक्षक संगठन द्वारा शिक्षक हित मे एक भी उपलब्धि प्राप्त की हो। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।

बीते विगत दशक मे MCD से प्रोन्नति पाकर शिक्षा निदेशालय मे आये शिक्षकों को तत्कालीन GSTA(SFTC) की गौरवशाली गरिमामयी उपस्थिति का अहसास नहीं  है। तत्कालीन GSTA(SFTC) के शिक्षक नेताओं का आचरण त्यागियो, तपस्वी यो और ऋषियो की भाँति रहा है। उन्होंने हमेशा शिक्षकों के मान सम्मान को ऊँचाई की बुलन्दियो पर ही पहुँचाया है।

आपको याद दिला दें कि तत्कालीन GSTA(SFTC) के इन्हीं बुजुर्गों के अथक प्रयासों से सन 1993 मे ,MCD से शिक्षा निदेशालय मे प्रोन्नति पाये शिक्षकों की pay fixation के आदेश विद्यालय के HOS को , करने के करवाए। जो पहले head quarter मे महीनों मे होते थे।

आपको शायद 12 साल मे चुनाव न होने के कारणों का ज्ञान नहीं है। उन 12 सालों मे तीन बार तत्कालीन GSTA के अध्यक्ष आदरणीय श्री ओमसिह जी ने शिक्षा निदेशको से चुनाव कराने के लिए निवेदन किया, तब कही जाकर चुनाव हो पाये।

याद रहे तत्कालीन GSTA के उन सुनहरे 12 सालों मे शिक्षकों को किसी भी प्रकार का कष्ट नही सहना पडा औऱ आज वर्तमान GSTA के 3 साल के कार्यकाल मे शिक्षक त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।
इस परिस्थिति का एकमात्र मूलकारण अनुभवहीन औऱ अन्तर कलह से ग्रस्त GSTA ही है।

अतः शिक्षक मंच औऱ संगठनों के शिक्षक नेताओं से SFTC आह् वान करती है कि बजाय किसी के काम की आलोचना करने के, शिक्षक हित मे कार्य करने के लिए बुजुर्ग नेताओं से प्रेरणा लें और शिक्षक हित मे सकारात्मक कार्य कर शिक्षकों की भलाई करें।

*जय शिक्षक*    🇮🇳   *जय दिल्ली*

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