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शिक्षक चालीसा - सभी शिक्षकों को समर्पित

एक साथी ने हमारे पास यह शिक्षक चालीसा भेजा है, जो बहुत ही उत्तम है। आशा है सभी साथी अपने दूसरे साथियों के साथ शेयर करेंगे ।

सभी शिक्षकों को समर्पित 

शिक्षक चालीसा


।। दोहा ।।

शिक्षक सागर ज्ञान का, शिक्षक नाम महान।
शिक्षक ही बतलात है, जग में ज्ञान महान॥
     
जय जय जय शिक्षा के दाता। 
सबको शुभ आशीष प्रदाता॥1॥

अंधकार के तुम संहारक। 
सकल ज्ञान के तुम्हीं प्रचारक॥2॥

ज्ञान-ज्योति को तुम्हीं जलाते।
अज्ञानी का ज्ञान बढ़ाते॥3॥

मन में सुन्दर भाव जगाते। 
शिष्यों पर तुम प्यार लुटाते॥4॥

भक्ति भाव की अलख जगाते। 
नेक कर्म करना सिखलाते॥5॥

शिष्य का पावन चरित बनाते।
मानव-धर्म का पाठ पढ़ाते॥6॥

सद्भावों का ज्ञान कराते। 
दुख को भी सहना सिखलाते॥7॥

सबके दुख को स्वयं मिटाते। 
दीन दुखी को तुम अपनाते॥8॥

लोभ मोह को दूर भगाते। 
शौर्य वीरता के गुण गाते॥9॥

सकल विश्व में ज्ञान लुटाते।
शिक्षा का दीपक जलवाते ॥10॥

संयम से रहना सिखलाते। 
सबको मुक्ति-मार्ग दिखलाते॥11॥

तुम ही हो सद्बुद्धि प्रदाता। 
तुम ही हो हम सबके दाता॥12॥

कर्मवान गुणवान बनाते। 
शिक्षा का अधिकार बताते॥13॥

सुगम अगम का भेद कराते। 
भक्ति-भाव का गुण सिखलाते॥14॥

शिक्षा की सुगन्ध फैलाते।
दिग-दिगंत को तुम महकाते॥15॥

देश-भक्ति का भाव जगाते। 
भारत माँ पर जान लुटाते॥16॥

अनपढ़ को विद्वान बनाते। 
धर्म-कर्म का ज्ञान कराते॥17॥

वेद और विज्ञान पढ़ाते। 
शिक्षा की तुम ज्योति जलाते॥18॥

सबको शिक्षा ज्ञान कराते। 
शिक्षित कर विद्वान बनाते॥19॥

तुम ही शिक्षा के उन्नायक। 
एक तुम्हीं हो ज्ञान प्रदायक॥20॥

सही गलत का ज्ञान कराते। 
शिक्षा का संकल्प दिलाते॥21॥

देश-प्रेम के तुम परिचायक। 
एक तुम्हीं हो विश्व-विधायक॥22॥

तुम हो सकल ज्ञान के स्वामी। 
सत्य-पन्थ के तुम अनुगामी॥23॥

तुम ही हो यश के अधिकारी। 
तुम्हीं ज्ञान के परम पुजारी॥24॥

सदा तुम्हारा जो यश गाते। 
वो ही सकल ज्ञान को पाते॥25॥

तुम पर है हमको अभिमान। 
तुम करते हो ज्ञान प्रदान॥26॥

तुम ही हो शिक्षक विज्ञानी। 
नहीं तुम्हारा जग में सानी॥27॥

तुम्हीं राष्ट्र के हो निर्माता।
सब शिष्यों के भाग्य-विधाता॥28॥

ज्ञानोदय के परम तपस्वी। 
धीर और गम्भीर मनस्वी॥29॥

चहुँ दिश ज्ञान पुँज फैलाते। 
भाईचारा प्रेम सिखाते॥30॥

सफल सबल गतिवान बनाते। 
सबमें करुणा-भाव जगाते॥31॥

श्रद्धा-सेवा-भाव जगाते। 
ध्यान-योग का मार्ग बताते॥32॥

सादा जीवन को अपनाते। 
निष्ठा औ' गुणवान बनाते॥33॥

मंगलकारी परम उपासक। 
संस्कृति औ' सभ्यता के साधक॥34॥

सत्य-अहिंसा-प्रेम सिखाते। 
शान्ति-मार्ग सबको समझाते॥35॥

तुम्हरे बिन संसार अधूरा।
तुम ही करते इसको पूरा॥36॥

सहनशीलता अपरम्पारा। 
धरती सम तुम सदा उदारा॥37॥

सुविचारों के तुम ही पोषक। 
नियमित जीवन के उद्घोषक॥38॥

आशावाद के तुम्हीं प्रदाता। 
सुखी राष्ट्र के भाग्य-विधाता॥39॥

हर युग में परताप तुम्हारा। 
तुम से है जग में उजियारा॥40॥
           
।। दोहा ।। 

तुम ज्ञानी हो ज्ञान के, सबको देते ज्ञान।
इसीलिए गुरुवर तुम्हें, करते सभी प्रणाम।




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