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शिक्षकों के वेतनमान की राजनीति, राजनीति के शिकार वेतनमान में सत्य का खुलासा।

शिक्षकों के वेतनमान की राजनीति,
राजनीति के शिकार वेतनमान में सत्य का खुलासा।

मेरे विद्वान शिक्षक साथियो


सन् 2008 में छ्ठेे वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर शिक्षको के वेतन निर्धारण की जिम्मेदारी हमारे शिक्षा विभाग और हमारी चुनी हुई GSTA की थी। लेकिन दोनो ही वेतनमानो का ठीक से निर्धारण करने या कराने में विफल रही थी। इसके निम्न कारण हो सकते है।
  1. विभाग व् GSTA की वेतन आयोग की अनुशंसाओ को ठीक से न समझ पाने की भूल करना।
  2. सरकार का वेतन आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर टीचर को अपग्रेडिड वेतनमान जानबूझकर न देने की साजिश करना।
  3. चुनी हुई GSTA का वेतनमान दिलाने के लिए गंभीर प्रयास न करना। क्योकि उनकी रुचि वेतन मानो में न होकर रिटायरमेंट की उम्रसीमा 62 वर्ष और फिर 65 वर्ष कराकर अपने लिए सेवा के अधिक मौके पैदा करना।
  4. GSTA का अपने पदाधिकारियो के लिये वाईस प्रिंसिपल की प्रमोशन लिस्ट तैयार कराकर रिटायरमेंट से मात्र एक दिन पहले ज्वाइन कराकर 62 वर्ष या 65 वर्ष तक उस पद पर एन्जॉय करने की तैयारी करना।
  5. GSTA को वेतनमान निर्धारण संबंधी नियमो की पूरी जानकारी न होकर गलत वेतनमान 17140 की माँग करना। फिर कभी कभी 18460 की मांग करना। फिर 17140 की मांग के लिए सरकार को पत्र लिखना।
  6. तत्कालीन GSTA के पदाधिकारीगणो का अपने असीम ज्ञान पर अहंकारी होने के कारण इस सम्बन्ध में किसी भी सक्षम व्यक्ति की मदद न लेना। आदि।


जैसा कि सब जानते है पूर्व GSTA लगातार 12 वर्ष तक तत्कालीन और ताकतवर मुख्यमंत्री के बहुत नजदीक थी और केंद्र में भी सामान रूप से उसी पार्टी की 10 वर्षो तक सरकार थी। ऐसे समय में वह आसानी से शिक्षकों के वेतनमानो को सही से लागू करा सकती थी। भाईयो उस GSTA में ज्यादातर पदाधिकारी बहुत वरिष्ठ हुआ करते थे उनकी प्राथमिकताए कुछ और थी जैसे VICE PRINVIPAL बनकर 62-65 वर्ष तक नौकरी करना थी। चाहे उनके कनिष्क शिक्षक साथियो को पूरा वेतन न मिले। चाहे उनके 62-65 वर्ष तक नौकरी करने के कारण उनके कनिष्ठ को पदोन्नति न मिले। इस बात से उन्हें कोई लेना देना नहीं था। उन्होंने अपने बुढ़ापे का सुनहरा भविष्य तय करने में 12 वर्ष लगा दिए। और हमारे नौजवान शिक्षक साथीओ का भविष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वह अजगर की तरह निगल गए। गत वर्ष 2014 में चयनित GSTA कुछ इस तरह से शिक्षक साथियो को समझाकर सत्ता में आई कि केंद्र में हमारी सोच या बैक करने वाली सरकार बन गयी है और 17140 का वेतनमान आपको तुरंत दिला दिया जाएगा। हमारे शिक्षक समाज ने इस उम्मीद से आँख मूँदकर एक ही ग्रुप के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जीता दिया कि शायद अब अच्छे दिन आ जाएंगे।
हमारी/शिक्षको की वेतनमान सहित सभी समस्याओ का समाधान एक मुश्त में हो जाएगा।लेकिन क्या हुआ चुनाव संपन्न हुए मात्र एक माह ही बीता था कि हमारी इस बार की चुनी हुई धरना प्रदर्शन की शौकीन GSTA पदाधिकारियो कीे उच्च अधिकारियो के साथ टेबल टॉक असफल हो गई।और आनन् फानन में 9 सितम्बर 2014 का धरना धोषित कर दिया और समझाने के बावजूद उस ज्ञापन में भी 17140 की मांग कर डाली। हमारे लिए ये बहुत पीड़ा दायक था। भाइयो जिस अस्त्र को सबसे बाद में इस्तेमाल किया जाता है वह सबसे पहले प्रयोग कर उसकी अहमियत को ही समाप्त कर दिया गया। हजारो शिक्षको के समर्थन के बावजूद भी कोई परिणाम नहीं आया। ये हथियार भी बेकार चला गया। सही वेतनमान 18460 के लिए खूब समझाने के बाद भी वह नहीं माने 17140 ही माँगते रहे। जिसको अधिकारियो द्वारा लिखित में नकार दिया गया । जो अपग्रेडिड वेतनमान वालों के लिए था ही नहीं । नई GSTA 17140 की मांग पर अड़े रहकर पूर्व GSTA की गलती को लगातार दोहराकर गलत दिशा में व् गलत रास्ते पर चलने के संकेत दे चुके थी। चुने होने का यह मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी करे।गलत का अधिकार किसी को भी नहीं दिया जा सकता। भाइयो इस गरीब देश में जहां सरकार भी काम नहीं कर पाती है वहां पर हजारो NGO काम करके देश की सेवा कर रहे है। चुने होने का इतना अहंकार ठीक नहीं। 

जहाँ तक DASTAN का प्रश्न है। DASTAN का गठन ही पूर्व GSTA की नाकामियो की वजह से हुआ।

शिक्षक हित में DASTAN ने अपनी संगठन की मर्यादा को लांघकरं GSTA को 16290 18460 18750 के लिए तैयार किया और जो मदद की जा सकती थी की गई लेकिन आजकल फिर 17140 की मांग करते फिर रहे है । और इसी बात का हमें डर है चुना हुआ संगठन शिक्षको का कोई ऐसा नुक्सान/ ऐतिहासिक भूल न कर दे जिसका शिक्षक समाज सालो तक या जीवन भर खामियाजा भुगते। मेरी पिछली पोष्ट को GSTA के पदाधिकारी ने बेहूदा बताकर एक शिक्षक की मर्यादा का उल्लंघन किया। मुझे बुरा नहीं लगा बल्कि मुझे दुःख हुआ कि हमारी चुनी हुई GSTA के पदाधिकारी को इतनी भी समझ नहीं है। कि अच्छी बात को मानने में कोई बुराई नहीं होती है। माँ0 CAT ने भी अपने आदेश में 18460 को सही मानते हुए कहा है कि TGT 18460 के लिए योग्य है और जूनियर से कम वेतनमान देना तो सविधान के ART 14,16 का उल्लंघन है। अतः 17140 से कम तो नहीं दिया जा सकता। पिच्छले 15 महीनो में हमारी चुनी हुई GSTA वेतनमानों से सम्बंधित कोई भी आदेश को न तो केंद्र सरकार से /न LG से लागू करा पाई। DASTAN अपनी दूरदर्शिता से धीरे धीरे वेतनमानों के लिये अपने स्तर से अधिकारियो और माँ0 अरविन्द केजरीवाल और माँ0 मनीष सिसोदिया जी से बात कर सकारात्मक वातावरण बनाने में लगी हुई थी। इसी बीच दिल्ली में भी 14 फरवरी 2015 को सरकार बन गयी। अरविंदजी मुख्यमंत्री व् मनीष जी शिक्षामंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री बन गए। धीरे हम शिक्षको काम आसान होता प्रतीत हो रहा था। हम शिक्षको के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दिल्ली सरकार के संपर्क में थे। इसी बीच भारत सरकार के वित्त विभाग के सयुक्त सचिव श्री ऐनी जॉर्ज मैथ्यू के DO लेटर क्रमांक 22821/E-|||/2015 दिनांक 23 मार्च 2015 (कॉपी नीचे सलग्न)के द्वारा दिल्ली सरकार की शिक्षा सचिव को भेजकर निर्देशित किया गया है कि CAT के आदेश को शिक्षको पर लागू नहीं किया जा सकता है। इनको केवल जूनीयर शिक्षक के वेतन तक स्टेपिंग अप किया जा सकता है। भाइयो केंद्र सरकार ने हमारी सारी वेतनमान संबंधी आशा को एक झटके में धवस्त कर दिया। फिर भी इस पत्र प्राप्ति के बावजूद DASTAN के पदाधिकारी वेतनमान से सम्बंधित मामलो में माँ0 उपमुख्यमंत्री जी के साथ सकारात्मक सोच के साथ उम्मीद बनाये हुए है। और 16290 18460 और 18750 वेतनमानों की फ़ाइल सम्बंधित अधिकारिओ से अग्रसारित कराकर वित्त विभाग को भिजवा दी गई है। जोकि बिना मुख्ययमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मदद के स्वीकृत नहीं हो सकती थी। केंद्र सरकार के विपरीत आदेशो के बावजूद एक सकारात्मक कोशिश की जा रही थी लेकिन हमारी चुनी हुई GSTA ने गत 15 दिनों से धरना प्रदर्शन के नाम पर उद्दंडता मचा रक्खी है शिक्षको के लिए आयोजित उत्सव को उद्दंडता का शिकार बना दिया। शिक्षा निदेशक मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री की गाडियो को स्टेडियम में समय रोककर नाराज कर दिया ।

भाइयो जो धरना प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ होना चाहिए था वो राजनैतिक षड्यंत्र के तहत दिल्ली सरकार के खिलाफ करवाया जा रहा है।जिसके कारण शिक्षक के साथ बहुत बड़ी साजिश की जा रही है। मेरा शिक्षक भाइयो के साथ साथ GSTA से अनुरोध है कि जिस दिल्ली की सरकार ने जून का TA व् रेफरल ख़त्म करके सकारात्मक सकेत दे दिए है। शिक्षको के वेतनमान देने का सारा खेल बिगाड़ने में तो केंद्र की सरकार लगी हुई है। उनकी ये नीति तो अब जगजाहिर हो चुकी है। कि शिक्षको को अपग्रडिड वेतनमान न तो देंगे और न दिल्ली सरकार को देने देंगे। इसके बावजूद DASTAN की कोशिश लगातार जारी है।

DASTAN की मीटिंग में शिक्षको के साथ किये गए वादे को DASTAN की जबाबदेही और जिम्मेदारी पर छोड़ दो।

आज शिक्षक हित मे DASTAN की अपील है कि GSTA अपने धरने प्रदर्शन को केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के आदेश दिनांक 23 मार्च 2015 के विरूद्ध (जिसमे CAT के आदेश को न मानने के निर्देश दिए गए है) सही दिशा में केंन्द्रित कर जंतर मंतर पर शिफ्ट करे। DASTAN सहित अन्य सभी शिक्षक संगठन तथा पूरा शिक्षक समाज DASS केडर की तरह अपनी वेतन संबंधी मांग मनवाने के लिए एक दिन या जरूरत पड़े तो तब तक जब तक शिक्षको के अपग्रेडिड वेतनमान पर वेतन निर्धारण करने के आदेश पारित न हो जाय तब तक जंतर मंतर पर अड़े रहे। देखना केंद्र और राज्य सरकार में शिक्षको के अपग्रेडिड वेतनमान 16290 18460 18750 को देने की होड़ मच जाएगी।
अब सोचने का वक्त है भाइयो।
वेतनमानों पर राजनीति मत करो । 
वेतनमानों को राजनीति का शिकार मत बनाओ।
 जय हिन्द। जय शिक्षक।

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साथियों,
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                                                      धन्यवाद  

                                                 
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